दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के मतदान के बाद एग्जिट पोल के नतीजे चौंकाने वाले साबित हो रहे हैं। अब तक लगातार तीन बार सत्ता में रही आम आदमी पार्टी (AAP) को इस बार बड़ा झटका लग सकता है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) 26 साल बाद सत्ता में वापसी कर सकती है। कई प्रमुख एग्जिट पोल्स के मुताबिक, भाजपा को 40 से 44 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि आप 25 से 29 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है। यदि 8 फरवरी को ईवीएम से यही परिणाम सामने आते हैं, तो दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार की 12 साल की सत्ता का अंत हो सकता है।
भाजपा की ऐतिहासिक वापसी?
दिल्ली में भाजपा ने इस चुनाव में किसी चेहरे को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में आगे नहीं किया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र सरकार की योजनाओं को आधार बनाकर पार्टी ने चुनाव लड़ा। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भाजपा ने अपने अभियान में राष्ट्रवाद, विकास और केजरीवाल सरकार की विफलताओं को प्रमुख मुद्दा बनाया।
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भाजपा नेताओं ने दिल्ली सरकार पर भ्रष्टाचार, यमुना की सफाई में विफलता और मुफ्त योजनाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाया। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने तो दिल्ली-हरियाणा सीमा पर पहुंचकर यमुना का पानी पीकर यह दिखाने की कोशिश की कि दिल्ली सरकार गंगा नदी की सफाई के अपने वादों को पूरा करने में विफल रही है।
आम आदमी पार्टी के लिए अस्तित्व की लड़ाई
2013 में अन्ना आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव एक अस्तित्व की लड़ाई जैसा था। पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त बिजली-पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को मुद्दा बनाया, लेकिन एग्जिट पोल्स के अनुसार, मतदाताओं का रुझान इस बार भाजपा की ओर अधिक रहा।
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केजरीवाल की राष्ट्रीय राजनीति में विस्तार की महत्वाकांक्षा भी इस चुनाव से प्रभावित हो सकती है। यदि AAP दिल्ली में सत्ता गंवाती है, तो पंजाब और गुजरात में पार्टी की रणनीति पर भी असर पड़ सकता है।
कहां हो रही कड़ी टक्कर?
नई दिल्ली, पटपड़गंज, जंगपुरा, कालकाजी और ग्रेटर कैलाश जैसे विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा और आप के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है। वहीं, कांग्रेस इस चुनाव में कोई खास प्रभाव छोड़ती नहीं दिख रही।
8 फरवरी के नतीजों पर सबकी नजर
एग्जिट पोल्स ने भाजपा की जीत की भविष्यवाणी जरूर की है, लेकिन असली नतीजे 8 फरवरी को आएंगे। यदि एग्जिट पोल्स के आंकड़े सच साबित होते हैं, तो दिल्ली में सत्ता परिवर्तन निश्चित होगा और भाजपा 26 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर काबिज होगी। अब देखना होगा कि मतगणना के दिन क्या नया राजनीतिक समीकरण उभरता है।
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