अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर लगातार गहराता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही पड़ोसी देशों कनाडा और मैक्सिको पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जबकि चीन पर भी 10% का अतिरिक्त कर लगा दिया। हालांकि, कनाडा और मैक्सिको के साथ बातचीत के बाद अमेरिका ने इस टैरिफ को एक महीने के लिए टाल दिया, लेकिन चीन के लिए ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया। जवाब में चीन ने भी अमेरिका से आयात होने वाले उत्पादों पर 10-15% का प्रतिशोधी शुल्क लगा दिया।
चीन में हाहाकार, भारत में बहार – जानें भारत को क्या फायदा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वॉर से वैश्विक व्यापार पर असर पड़ रहा है। ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जबकि चीन पर 10% का अतिरिक्त टैक्स लगा दिया। इससे चीन की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा, वहीं भारत के लिए नए व्यापारिक अवसर खुल गए हैं।
चीन पर प्रभाव, भारत को फायदा
अमेरिकी प्रतिबंधों से चीन की अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है। अमेरिका में चीन के सस्ते उत्पादों पर प्रतिबंध लगने से वहां भारतीय कंपनियों के लिए जगह बन रही है। खासकर आईटी, फार्मा, टेक्सटाइल और ऑटोमोबाइल सेक्टर में भारत को फायदा हो सकता है।

भारत को मिल सकता है नया बाजार
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के चलते अमेरिकी कंपनियां नए सप्लायर ढूंढ रही हैं। भारत, जो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा दे रहा है, उन कंपनियों के लिए बेहतर विकल्प बन सकता है।
चीन ने दिया कड़ा जवाब
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने घोषणा की कि वह अमेरिका से आयात होने वाले कई उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाएगा। इसमें कोयला और लिक्वीफाइड नेचुरल गैस (LNG) पर 15% अतिरिक्त शुल्क और कच्चे तेल, कृषि उपकरण, बड़ी कारों और पिकअप ट्रकों पर 10% टैरिफ शामिल हैं। चीन ने यह भी कहा कि वह अमेरिकी टेक कंपनी गूगल पर जांच शुरू कर रहा है और व्यापार से जुड़े अन्य प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है।

चीन के बयान के अनुसार, अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन करते हैं और इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचेगा। चीन ने कहा कि यह कदम किसी भी समस्या का समाधान नहीं करेगा बल्कि वैश्विक बाजार में अस्थिरता बढ़ाएगा।
चीन के लिए बड़ा आर्थिक झटका
अमेरिकी प्रतिबंधों से चीन की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि पहले से ही उसके आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी हो चुकी है। ट्रंप प्रशासन के पिछले कार्यकाल में भी चीन पर टैरिफ लगाए गए थे, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई थी। हालांकि, इस बार चीन पहले से सतर्क था और उसने अपने व्यापारिक साझेदारों को अमेरिका से हटाकर अन्य देशों की ओर मोड़ना शुरू कर दिया था।
नए अवसरों की तलाश में चीन
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अपनी व्यापारिक रणनीति को अमेरिका के बजाय अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की ओर केंद्रित कर रहा है। इस बीच, शी जिनपिंग बड़े अवसरों पर नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि ट्रंप प्रशासन एक साथ कई व्यापारिक मोर्चों पर संघर्ष कर रहा है।
इस ट्रेड वॉर का प्रभाव न केवल अमेरिका और चीन तक सीमित रहेगा बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी असर डालेगा। आगे आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश इस व्यापारिक तनाव को सुलझाने के लिए कोई समझौता करते हैं या नहीं।
ट्रंप की टैरिफ वॉर से जहां चीन को नुकसान हो रहा है, वहीं भारत के लिए यह अवसर बन सकता है। यदि भारत अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाए और निवेश आकर्षित करे, तो आने वाले वर्षों में यह वैश्विक व्यापार में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
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