आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में चीन के डीपसीक (DeepSeek) एआई मॉडल ने वैश्विक टेक इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों में इस एआई मॉडल को लेकर गंभीर चिंताएं उठाई जा रही हैं। ऑस्ट्रेलिया के विज्ञान मंत्री ईडी ह्यूजिक ने इस पर निजता और डेटा सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं को उजागर किया है। इसके अलावा, इटली ने भी इस ऐप को अपने ऐप स्टोर्स से हटा दिया है।
डीपसीक एआई पर उठे सवाल
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- डेटा प्राइवेसी का मुद्दा:
- चीन की भूमिका और सुरक्षा चिंताएं:
- ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका को यह आशंका है कि डीपसीक के माध्यम से चीन संवेदनशील डेटा एकत्र कर सकता है।
- इस एआई मॉडल पर आरोप है कि यह उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारी को विज्ञापनदाताओं और कॉर्पोरेट समूहों के साथ साझा कर सकता है।
- वैश्विक स्तर पर प्रतिबंध और जांच:
- इटली में डीपसीक ऐप को Google Play Store और Apple App Store से हटा दिया गया है।
- अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां भी इस एआई मॉडल की समीक्षा कर रही हैं और संभावित खतरों का आकलन कर रही हैं।
डीपसीक की बढ़ती लोकप्रियता और विवाद
हाल ही में, डीपसीक एआई की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। OpenAI के ChatGPT के प्रतिद्वंद्वी के रूप में इसे पेश किया जा रहा है और कई देशों में यह डाउनलोड चार्ट में शीर्ष पर पहुंच गया है। हालांकि, इसकी डेटा सुरक्षा नीतियों को लेकर पारदर्शिता की कमी ने कई देशों को सतर्क कर दिया है।

चीन के एआई मॉडल पर संदेह क्यों?
- चीन की डेटा नीतियां:
- चीन में संचालित टेक कंपनियों को सरकार द्वारा उपयोगकर्ता डेटा साझा करने के लिए बाध्य किया जा सकता है।
- पहले भी हुवावे और टिकटॉक जैसी कंपनियों पर डेटा चोरी और निगरानी के आरोप लग चुके हैं।
- सुरक्षा एजेंसियों की चिंता:
- अमेरिकी नौसेना ने डीपसीक को लेकर अपने कर्मियों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
- अमेरिका की टेक इंडस्ट्री को भी इस मॉडल से प्रतिस्पर्धा की चिंता है क्योंकि यह कम लागत पर उच्च गुणवत्ता की एआई सेवाएं प्रदान कर रहा है।
डीपसीक एआई के तेजी से बढ़ते उपयोग ने कई देशों में साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी से जुड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। जबकि चीन इस एआई मॉडल को एक तकनीकी नवाचार के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, पश्चिमी देश इसे संभावित सुरक्षा जोखिम के रूप में देख रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या डीपसीक अपनी नीतियों में पारदर्शिता लाकर वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत कर पाता है या फिर इसे और अधिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है।
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