महाकुंभ जाने वाले स्टेशनो पर भगदड़ जैसी स्थिति: ट्रेन के शौचालय में बैठ कर आ रहे श्रद्धालु

महाकुंभ के अवसर पर प्रयागराज पहुँचने वाली ट्रेन में भारी भीड़ और अव्यवस्था का परिदृश्य सामने आया। भोपाल से चलने वाली महाकाल सुपरफास्ट एक्सप्रेस, जो प्रयागराज होते हुए वाराणसी जाती है, में कुल 4 जनरल, 6 स्लीपर और 8 एसी बोगियाँ लगी हैं, जिनमें लगभग 1200 लोग आराम से बैठ सकते हैं। लेकिन स्टेशन पर उपस्थित 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के कारण अत्यधिक भीड़ के चलते इंतज़ाम बुरी तरह प्रभावित हो गए।

स्टेशन पर भगदड़ और इंतज़ार की घड़ियाँ
भोपाल के संत हिरदाराम नगर स्टेशन पर ऐसा माहौल था कि श्रद्धालुओं के पैर रखने की जगह भी नहीं बच पाई। दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर ट्रेन का आगमन तय था, लेकिन ट्रेन 4 घंटे देर से आई और शाम 6:39 पर स्टेशन पर पहुंची। इस दौरान श्रद्धालु 4 घंटे से भी अधिक समय तक बैठे रहे। कई यात्री जमीन पर बैठने को मजबूर हो गए, तो कुछ खड़े-खड़े ट्रेन का इंतज़ार कर रहे थे। डॉ. टीआर यादव, जिन्होंने अपने 20 साथियों के साथ पहले से रिजर्वेशन कराया था, ने हैरानी जताई कि इतनी भीड़ की उम्मीद कभी नहीं की थी।

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ट्रेन में भगदड़: सीटों की कमी और अव्यवस्था
जब ट्रेन आई, तो भीड़ में भयंकर उथल-पुथल मच गई। लोग खिड़कियों, दरवाजों और जहाँ भी जगह मिली, वहां से ट्रेन में चढ़ने लगे। कई लोग कन्फर्म टिकट के बिना ही दूसरों की सीटों पर बैठने लगे, जिससे ट्रेन के अंदर की स्थिति भयावह हो गई। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों समेत हर कोई ट्रेन में सवार होने के लिए तरस रहा था। सामान इधर-उधर बिखरा हुआ था और लोग एक-दूसरे पर गिरते हुए दिखाई दिए।

शौचालय में बैठकर यात्रा: व्यवस्था पर सवाल


स्थिति की गंभीरता तब और बढ़ गई जब रिपोर्टर ने ट्रेन के शौचालय में बैठे एक यात्री योगेश से बातचीत की। योगेश ने बताया कि वे घंटों खड़े रहने के बाद बैठने की जगह न मिलने के कारण शौचालय के फर्श पर ही बैठकर यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “महाकुंभ में डुबकी लगानी है, अब जैसे भी हो, जाना तो है।” ऐसी स्थिति में महिलाओं को भी शौचालय जाने में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासनिक बेअसर निगरानी और पुलिस की चुप्पी
ट्रेन के आगमन के समय स्टेशन पर सुरक्षा के लिए पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन कहीं भी प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा सकी। कई यात्रियों का फोन चोरी हो जाना और भीड़ में समन्वय की कमी ने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल खड़े कर दिए। यात्रियों ने शिकायत की कि जब उन्होंने टिकट या किराया पूछने का प्रयास किया, तो नाविक और स्टेशन कर्मचारियों ने चुप्पी साध ली।

महाकुंभ के दौरान रेलवे और स्टेशन प्रबंधन की तैयारी पर कड़ा प्रश्न चिह्न लगा है। इस तरह की अव्यवस्था ने श्रद्धालुओं के सफर को बेहद असुविधाजनक बना दिया है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में प्रशासन और पुलिस इस स्थिति पर सुधार लाने के लिए तत्काल कदम उठाएंगे, ताकि श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुगम यात्रा का अनुभव हो सके।

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