Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti 2025: पीएम ने नेताजी की 128वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि, नेताजी ने की थी ‘आजाद हिन्द फौज’ स्थापना, आजादी में था विशेष योगदान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती पर संसद के सेंट्रल हॉल में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस विशेष आयोजन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों से संवाद किया और उनके साथ मिलकर “जय हिंद” के नारे लगाए। पीएम मोदी ने नेताजी के साहस, धैर्य और स्वतंत्रता संग्राम में उनके अतुलनीय योगदान को याद करते हुए कहा कि सुभाष चंद्र बोस के विचार और विजन देश को प्रेरित करते हैं।

यह आयोजन न केवल नेताजी को श्रद्धांजलि देने का अवसर था, बल्कि बच्चों और युवाओं को उनकी देशभक्ति और संघर्ष की भावना से प्रेरणा लेने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी
23 जनवरी को पूरे देश में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती मनाई जा रही है। इस खास अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के सेंट्रल हॉल में नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दिन को “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाया जाता है। आइए नेताजी के जीवन और योगदान को सरल शब्दों में समझते हैं।

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सुभाष चंद्र बोस का प्रारंभिक जीवन
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनके पिता जानकीनाथ बोस एक नामी वकील थे। सुभाष के परिवार में 9 भाई-बहन थे। वे बचपन से ही एक मेधावी छात्र थे। उन्होंने कटक से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया।

सुभाष ने कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बीए की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वे इंग्लैंड गए और वहां इंडियन सिविल सर्विस (ICS) की परीक्षा पास की। वे इस परीक्षा में चौथे स्थान पर आए। हालांकि, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने के लिए ICS की नौकरी छोड़ दी।

नेताजी का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि भारत को आज़ादी केवल सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से ही मिल सकती है। उनके इस दृष्टिकोण के कारण वे महात्मा गांधी से अलग विचारधारा रखते थे।

आजाद हिंद फौज की स्थापना


4 जुलाई 1943 को सिंगापुर में रास बिहारी बोस ने आजाद हिंद फौज की कमान सुभाष चंद्र बोस को सौंपी। इसके बाद नेताजी ने “चलो दिल्ली” का नारा दिया और आज़ादी के लिए लड़ाई की शुरुआत की।

युद्ध की घोषणा:
नेताजी ने कहा, “मैं तुम्हें भूख, प्यास, और कठिनाइयों के अलावा कुछ नहीं दे सकता, लेकिन अगर तुम मेरा साथ दोगे, तो मैं तुम्हें आज़ादी दिलाऊंगा।”
पीएम नरेंद्र मोदी का नेताजी को सम्मान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “भारत के स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी का योगदान अद्वितीय है। उनका साहस और धैर्य हमें प्रेरित करता है।” पीएम मोदी ने बच्चों से संवाद करते हुए जय हिंद के नारे भी लगाए।

नेताजी की मृत्यु का रहस्य
18 अगस्त 1945 को नेताजी मंचूरिया की ओर एक विमान से जा रहे थे। 23 अगस्त 1945 को टोक्यो रेडियो ने खबर दी कि ताइहोकू एयरपोर्ट के पास विमान क्रैश हो गया, जिसमें नेताजी गंभीर रूप से जल गए। इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
हालांकि, उनकी मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है। आजाद भारत की सरकार ने तीन बार जांच के आदेश दिए, लेकिन अंतिम निष्कर्ष नहीं निकल सका।

नेताजी की विरासत
सुभाष चंद्र बोस को उनकी दृढ़ता, नेतृत्व, और दूरदृष्टि के लिए याद किया जाता है। उनका सपना था एक स्वतंत्र और सशक्त भारत। उनके विचार और आदर्श आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं।

निष्कर्ष
नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गए। उनके बलिदान और साहस को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी 128वीं जयंती पर, पूरा देश उनके योगदान को नमन कर रहा है और उनके सपनों के भारत को साकार करने का संकल्प ले रहा है।

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