IITian बाबा अभय सिंह, जो पहले IIT मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री के साथ अपने करियर की बुलंदी तक पहुंचे थे, अब अपने दोस्तों और फॉलोवर्स के लिए एक प्रश्न बन चुके हैं। अभय सिंह, जिन्होंने अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला लिया, एक ऐसे IITian हैं, जिन्होंने अपनी लाखों की नौकरी छोड़कर अपना जीवन धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर ले गए।
कनाडा से भारत तक की यात्रा
अभय सिंह की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। वो एक समय पर 36 लाख के एनुअल पैकेज के साथ कनाडा में अपनी नौकरी कर रहे थे, पर फिर उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया। कोविड-19 के दौरान, जब दुनिया भर में हर चीज रुक गई थी, अभय ने अपनी जिंदगी का एक नया मोड़ लिया। कनाडा में अकेला रहकर, उन्होंने प्राचीन दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु, J. Krishnamurti, की किताबें पढ़ी और अपने जीवन का मूल उद्देश्य समझने की कोशिश की।
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IIT और फिर फोटोग्राफी की दुनिया
अभय सिंह ने IIT मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की मास्टर डिग्री की थी, लेकिन उन्होंने यह सब छोड़कर फोटोग्राफी का रास्ता अपनाया। उन्होंने दो साल तक अपने शौक को अपना करियर बनाया, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने कनाडा में काम करने का फैसला किया। वहां उन्होंने एक अच्छी नौकरी हासिल की, लेकिन कोविड-19 के समय उन्होंने अपना सब कुछ छोड़ दिया और अपने देश भारत लौट आए।
तीर्थ यात्रा और धार्मिक यात्रा
भारत आने के बाद, अभय ने अपने आध्यात्मिक मार्ग को और गहरा किया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण धार्मिक और तीर्थ यात्राओं पर भी यात्रा की, जहां उन्होंने अपने जीवन के मकसद को समझने की पूरी कोशिश की। अभय सिंह ने अपने सारे सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक किया, पुराने दोस्तों से दूर हो गए और अपनी नई यात्रा पर निकल गए।
अभय सिंह की सोच और प्रेरणा
अभय सिंह की कहानी से हम सबको यह सीख मिलती है कि जब हम अपने जीवन में असली खुशी और सुकून ढूंढते हैं, तो हम अपनी पुरानी सोच और चीजों को छोड़कर नई दिशा में कदम रखते हैं। उन्होंने अपनी पुरानी उम्मीदों और लाखों की नौकरी को छोड़कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा को अपनाया, जो कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
IITian बाबा अभय सिंह का जीवन यह दर्शाता है कि जीवन में असली सुकून और खुशी के लिए हमें कभी-कभी पुरानी चीजों को छोड़कर नए रास्तों पर चलना पड़ता है।
अभय सिंह के पिता की भावुक बातें:
अभय सिंह के पिता कर्ण सिंह ने बताया कि उनका बेटा बचपन से ही होनहार था और आईआईटी पास करने के बाद कनाडा में नौकरी करने गया। वह हमेशा कम बात करता था और कभी भी अध्यात्म के बारे में नहीं बताया। पिछले 6 महीनों से परिवार उसे ढूंढ रहा है, लेकिन उसने सभी फोन नंबर ब्लॉक कर दिए हैं। कर्ण सिंह चाहते हैं कि अभय वापस घर लौटे, लेकिन वे उस पर कोई दबाव नहीं डालना चाहते।
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