गुजरात के खेड़ा जिले के राहियोली में खुदाई के दौरान डायनासोर के अंडे का जीवाश्म मिला है, जिसे प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में प्रदर्शनी के लिए लाया गया है। यह अंडा शाकाहारी डायनासोर प्रजाति टाइटैनोसोरस का है, जो करोड़ों साल पहले धरती पर मौजूद थे। इस अनोखी खोज को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शनी में पहुंच रहे हैं।

खुदाई के दौरान मिली अनमोल खोज
राययोली क्षेत्र को पहले ही दुनिया की सबसे बड़ी डायनासोर हैचरी के रूप में जाना जाता है। हाल ही में खेड़ा जिले में हुई खुदाई में यह अंडा मिला, जिसे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने संरक्षित कर प्रदर्शनी में रखा है। टाइटैनोसोरस लगभग 95 से 100 मिलियन वर्ष पूर्व, क्रेटेशियस युग के अंत में धरती पर रहते थे। यह प्रजाति अब तक के सबसे बड़े डायनासोरों में से एक मानी जाती है।
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महाकुंभ में बढ़ा उत्साह
महाकुंभ के सेक्टर-1 में GSI द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में यह डायनासोर का अंडा आकर्षण का मुख्य केंद्र बन गया है। इसे देखने के लिए दिनभर लोगों की भीड़ लगी रहती है। प्रदर्शनी में खनिज पदार्थों, अन्य जीवाश्मों और पृथ्वी के विकास की जानकारी भी दी जा रही है।

डायनासोर के जीवाश्म और खनिजों की प्रदर्शनी
प्रदर्शनी में सिर्फ डायनासोर का अंडा ही नहीं, बल्कि अन्य महत्वपूर्ण जीवाश्म और खनिज भी रखे गए हैं। इसमें हिमाचल प्रदेश में मिला स्टीगोडान इनसिगनिस का जीवाश्म, मध्य प्रदेश से लाया गया बाक्साइट, बिहार का एसबेस्टस, उत्तराखंड का जिप्सम और राजस्थान से लाया गया गैलेना शामिल हैं।

वैज्ञानिक अध्ययन और महत्व
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अधीक्षण भूविज्ञानी उत्कर्ष त्रिपाठी के अनुसार, यह जीवाश्म विज्ञान की महत्वपूर्ण खोजों में से एक है। यह प्रदर्शनी पृथ्वी के निर्माण, महाद्वीपों की उत्पत्ति और जीवन के विकास की वैज्ञानिक जानकारी भी प्रदान कर रही है।

गुजरात में डायनासोर के अंडे की इस खोज ने न केवल वैज्ञानिकों को उत्साहित किया है, बल्कि आम जनता के लिए भी यह बेहद रोचक विषय बन गया है।
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