महाकुंभ में अखिलेश यादव का संगम स्नान
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में संगम में डुबकी लगाई। उनकी स्नान करते हुए तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। संगम पर अखिलेश यादव ने 11 डुबकियां लगाईं और सूर्य को अर्घ्य भी दिया। उनके साथ सपा नेता, कार्यकर्ता और जल पुलिस की सुरक्षा मौजूद थी। अखिलेश यादव ने महाकुंभ के इस आयोजन को ऐतिहासिक बताया और भगवान से देश में सौहार्द्र और सहनशीलता बनाए रखने की प्रार्थना की।

भाजपा नेताओं का तंज
अखिलेश यादव के स्नान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने कटाक्ष किए। भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, “देर आए दुरुस्त आए। संगम स्नान के बाद शायद अखिलेश के मन को शांति मिलेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश को अब महाकुंभ के खिलाफ बयानबाजी बंद करनी चाहिए। वहीं, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उम्मीद जताई कि अखिलेश यादव अब आस्था को चोट पहुंचाने वाले बयान देने से बचेंगे।

संगम स्नान का धार्मिक और सामाजिक महत्व
महाकुंभ भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रतीक है। इसमें संगम स्नान को पवित्र और जीवन को शुद्ध करने वाला माना जाता है। अखिलेश यादव ने स्नान के बाद कहा कि इस महाकुंभ का आयोजन ऐतिहासिक है क्योंकि ऐसा संयोग 144 साल बाद आया है। उन्होंने अपनी सरकार के समय में आयोजित कुंभ मेले की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि वह आयोजन सीमित संसाधनों में बेहतर तरीके से हुआ था, जिसकी तारीफ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने भी की थी।
अखिलेश की यात्रा और स्वागत
अखिलेश यादव रविवार सुबह चार्टर्ड प्लेन से प्रयागराज एयरपोर्ट पहुंचे। वहां कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। हालांकि, इस दौरान वह भीड़ में थोड़ी देर तक फंसे रहे। इसके बाद वह महाकुंभ में पहुंचे, जहां उनके साथ सपा नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे।
सोशल मीडिया पर चर्चा
अखिलेश यादव के संगम स्नान की तस्वीरें सपा के एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर साझा की गईं। तस्वीरों में अखिलेश यादव स्नान करते और सूर्य को अर्घ्य देते हुए नजर आ रहे हैं। इससे पहले भी गंगा स्नान के दौरान उनकी फिटनेस की सोशल मीडिया पर खूब तारीफ हुई थी।

राजनीतिक बयानबाजी और श्रद्धा का संगम
महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन पर राजनीतिक बयानबाजी अक्सर देखने को मिलती है। भाजपा नेताओं ने जहां अखिलेश के स्नान पर तंज कसे, वहीं अखिलेश ने इस आयोजन को आस्था और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने भगवान से देश के कल्याण और सौहार्द्र की कामना की।
मीडिया ने अखिलेश यादव से पूछे सवाल और उनके जवाब
सवाल: मुलायम सिंह की प्रतिमा को लेकर विवाद हो रहा है। इस पर आपकी क्या राय है?
अखिलेश यादव: वहां पर लोगों की सेवा हो रही है। इस पर विवाद नहीं होना चाहिए। दूध दान से बड़ा दान क्या हो सकता है? सेवा और सद्भावना ही सबसे बड़ी बात है।
सवाल: आपने संगम स्नान के लिए आज का दिन ही क्यों चुना?
अखिलेश यादव: जिस दिन मां गंगा ने बुला लिया, उस दिन आ गया। कुंभ में तीन नदियां मिलती हैं। यह संगम हमें प्रेरणा देता है कि हमें भी मिलकर रहना चाहिए। सद्भावना, सौहार्द्र और सहनशीलता बनाए रखना चाहिए।
सवाल: बीजेपी का दावा है कि इससे भव्य कुंभ का आयोजन पहले कभी नहीं हुआ। इस पर आपका क्या कहना है?
अखिलेश यादव: भाजपा वालों से यही कहना है कि जब कुंभ में आएं, तो सहनशीलता के साथ स्नान करें। यहां पुण्य और दान के लिए लोग आते हैं, न कि वॉटर स्पोर्ट्स के लिए।
सवाल: क्या आप साधु-संतों से भी मुलाकात करेंगे?
अखिलेश यादव: संतों से आशीर्वाद मिल जाए, यही हमारी कोशिश रहेगी।
सवाल: महाकुंभ के आयोजन पर आपकी राय क्या है?
अखिलेश यादव: यह बहुत बड़ा आयोजन है। 144 साल बाद ऐसा संयोग आया है। हम भगवान से यही कामना करते हैं कि सबके जीवन में शांति और सौहार्द्र बना रहे।
महाकुंभ जैसे आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ राजनीतिक मंच भी बन जाते हैं। अखिलेश यादव का संगम स्नान और भाजपा नेताओं की प्रतिक्रियाएं यह दर्शाती हैं कि धर्म और राजनीति का घालमेल किस तरह भारत की सामाजिक संरचना का हिस्सा बन चुका है। हालांकि, इस सबके बीच महाकुंभ का मूल संदेश- “अनेकता में एकता” सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहता है।