दिल्ली हार के बाद AAP में आया बड़ा मोड़: केजरीवाल ने पंजाब के लिए रखा सीक्रेट प्लान

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) की हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता अरविंद केजरीवाल ने अब अपनी अगली मंजिल – पंजाब – के लिए एक सीक्रेट प्लान तैयार कर लिया है। कहा जा रहा है कि साल 2027 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में इस योजना के माध्यम से पार्टी कांग्रेस, अकाली दल और बीजेपी जैसी प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करेगी।

दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की वजह से AAP को कम से कम 14 सीटों का नुकसान हुआ था, जिसके बाद केजरीवाल ने मीडिया से दूरी बनाए रखी, लेकिन हाल ही में उन्होंने एक वीडियो संदेश के माध्यम से अपनी चिंताओं का इजहार किया। सूत्रों के मुताबिक, केजरीवाल पंजाब के मामलों को लेकर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं और उनका मानना है कि आने वाले दिनों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पंजाब से भ्रामक खबरें और प्रचार चलाने की कोशिश करेंगे। ऐसे में स्थानीय विधायक और नेताओं से सीधे संवाद करना अनिवार्य हो गया है।

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इस सीक्रेट प्लान के तहत केजरीवाल न केवल पंजाब में अपनी ताकत बढ़ाने पर जोर देंगे, बल्कि बिहार और मणिपुर जैसे अन्य राज्यों में भी पार्टी के संगठन को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाएंगे। विपक्षी दलों द्वारा दिल्ली चुनाव के बाद CM भगवंत मान को बदलने की बात उठाई जा रही है, लेकिन AAP के नेताओं का कहना है कि ये केवल झूठी प्रचार-कथाएँ हैं।

राजनीतिक अफेयर्स कमेटी में भी बदलाव की चर्चा जोर पकड़ रही है। AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जल्द ही पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी और नेशनल एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक बुलाई जा सकती है, जिसकी संभावना फरवरी के आखिरी या मार्च के पहले सप्ताह में जताई जा रही है। वर्तमान में पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी में कुल 12 सदस्य हैं, जिनमें केजरीवाल के अलावा आतिशी, संदीप पाठक, दुर्गश पाठक, गोपाल राय, इमरान हुसैन, मनीष सिसोदिया, एनडी गुप्ता, पंकज गुप्ता, राघव चड्ढा, राखी बिड़ला और संजय सिंह शामिल हैं। खबरों के मुताबिक, इस समिति में चार-पांच चेहरों को बदला जा सकता है और नए, उभरते नेताओं को जगह दी जा सकती है।

इसी तरह, नेशनल एग्जीक्यूटिव कमेटी के 31 सदस्यों में भी बदलाव की आशंका जताई जा रही है। पार्टी के अंदर हो रहे ये संभावित बदलाव AAP की रणनीति में एक नया मोड़ ला सकते हैं, जिससे आगामी चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर हो सके।

दिल्ली हार के बाद के इस कदम से स्पष्ट होता है कि केजरीवाल और AAP अब न केवल अपनी कमजोरियों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि पंजाब समेत अन्य राज्यों में भी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं। अगली चुनौतियाँ और राजनीतिक मोर्चे तय होने में कुछ समय लगेगा, लेकिन अभी के ये बदलाव AAP के आगामी चुनावी रणभूमि में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

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